Thursday, 2 November 2017

মেষ রাশি ও তার গোচর



এই সময়কালে আপনার মধ্যে একটি অসাধারণ সৃজনশীলতা ও মেধাশক্তির প্রবণতা লক্ষ্য করা যাবে। আপনি খুব রোমান্টিক বোধ করবেন এবং আপনার কাজকে একটি শিল্প হিসেবে গ্রহণ করবেন ও নতুন ধারণার সৃষ্টি হবে। পরিচিতিদের সঙ্গে যোগাযোগের আরো সুযোগ আসতে পারে এবং এটা যোগাযোগ বৃদ্ধির দারুণ সম্ভাব্য বিষয়। সাহসী পদক্ষেপ এবং সাধিত প্রতিভা আপনার জন্য টাকা ও আধ্যাত্মিকতা সম পরিমাণে বয়ে আনবে। পারিবারিক জীবনে সামঞ্জস্যপূর্ণ পরিবেশ নিশ্চিত করে থাকবে। সামান্য শারীরিক সমস্যা থাকতে পারে। আপনার ভাগ্যে বাড়ী নির্মাণ অথবা গাড়ী ক্রয়ের সম্ভাবনা আছে। আপনার জন্য এটি একটি পুরষ্কারস্বরূপ সময়।





Shiv Yoga
A person born in Shiv Yoga is intelligent and loves to help others. He is not self-centered and he abandons his desires for others. He is an honest and kind-hearted person. He gets respect and honor in the society because of his simple nature.


লক্ষ্মী নারায়ন যোগ ঃ 
বুধ বুদ্ধির অধিপতি , শুক্র ঐশ্বর্য এর অধিপতি , জাতক বুধ শুক্রের যুতি থেকে অপার ধনসম্পত্তির অর্জিত করে জীবন যাপন করবে , একাধিক উপায়ে অর্থ উপার্জন করবে । শৌখিন ব্যাক্তি , সঞ্চয় এর স্বভাবে নাই ।
স্থান পরিবর্তন  যোগ ঃस्थान परिवर्तन योग से जीवन सुखमय बन जाता है! आप यह जान लें कि उच्चाधिकारी, मन्त्री, मुख्यमन्त्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल बनने के लिए अल्पतम एक स्थान परिवर्तन योग आवश्यक है। अधिकतम तीन स्थान परिवर्तन योग एक जातक की कुण्डली में हो सकते हैं। यदि ये हों तो जातक उच्चाधिकारी, मन्त्री या प्रधानमन्त्री बनता है। इन्दिरा गांधी की कुण्डली में लग्नेश-सप्तमेश, षष्ठेश-लाभेश, धनेश-पंचमेश स्थान परिवर्तन योग थे। यहां स्थान परिवर्तन के तीस योग दे रहे हैं। इनमें से यदि दूसरे, चौथे, पांचवें, सप्तम, नौवें, दसवें योग बनें तो अधिक शुभता रहती है। जातक धनी, उच्चाधिकारी, मन्त्री, प्रधानमन्त्री एवं राजा सदृश जीवन जीता है। यहां तीस स्थान परिवर्तन योग की चर्चा कर रहे हैं जोकि इस प्रकार है- 1. भाग्येश एवं लाभेश का स्थान परिवर्तन योग 2. लाभेश एवं धनेश का स्थान परिवर्तन योग 3. भाग्येश एवं दशमेश का स्थान परिवर्तन योग 4. चतुर्थेश एवं लाभेश का स्थान परिवर्तन योग 5. भाग्येश एवं चतुर्थेश का स्थान परिवर्तन योग 6. लग्नेश एवं लाभेश का स्थान परिवर्तन योग 7. पंचमेश एवं लाभेश का स्थान परिवर्तन योग 8. भाग्येश एवं पंचमेश का स्थान परिवर्तन योग 9. भाग्येश एवं लग्नेश का स्थान परिवर्तन योग 10. लग्नेश एवं धनेश का स्थान परिवर्तन योग 11. भाग्येश एवं धनेश का स्थान परिवर्तन योग 12. लग्नेश एवं चतुर्थेश का स्थान परिवर्तन योग 13. दशमेश एवं लाभेश का स्थान परिवर्तन योग 14. धनेश एवं चतुर्थेश का स्थान परिवर्तन योग 15. धनेश एवं पंचमेश का स्थान परिवर्तन योग 16. चतुर्थेश एवं पेचमेश का स्थान परिवर्तन योग 17. दशमेश एवं द्वितीयेश का स्थान परिवर्तन योग 18. दशमेश एवं पंचमेश का स्थान परिवर्तन योग 19. दशमेश एवं लग्नेश का स्थान परिवर्तन योग 20. दशमेश एवं चतुर्थेश का स्थान परिवर्तन योग 21. लग्नेश एवं पंचमेश का स्थान परिवर्तन योग 22. पंचमेश एवं सप्तमेश का स्थान परिवर्तन योग 23. सप्तमेश एवं चतुर्थेश का स्थान परिवर्तन योग 24. सप्तमेश एवं दशमेश का स्थान परिवर्तन योग 25. सप्तमेश एवं नवमेश का स्थान परिवर्तन योग 26. तृतीयेश एवं लग्नेश का स्थान परिवर्तन योग 27. पराक्रमेश एवं लाभेश का स्थान परिवर्तन योग 28. पराक्रमेश एवं षष्ठेश का स्थान परिवर्तन योग 29. षष्ठेश एवं लाभेश का स्थान परिवर्तन योग 30. द्वादशेश एवं अष्टमेश का स्थान परिवर्तन योग उक्त योगों को आप अपनी कुण्डली में ढूंढिए और देखिए कि कितने स्थान परिवर्तन योग आपकी कुण्डली में विद्यमान हैं। एक से अधिक हैं तो समझ लीजिए इन योगों के कारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में आप उच्चाधिकारी बन सकते हैं। यदि इनके अतिरिक्त अन्य राजयोग भी विद्यमान हैं तो सोने में सुहागे वाली बात है। आप अवश्य उच्चाधिकारी, मन्त्री बनकर राजा सदृश जीवनयापन कर सकते हैं। ये योग अधिकारियों की कुण्डली में अवश्य होता है। योग बनाने वाले ग्रह योगकारक होते हैं, इनकी दशा आने पर ही इनका फल मिलता है। श्रीमती इन्दिरा गांधी जी की कुण्डली में तीन स्थान परिवर्तन योग थे। 
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গ্রহরাশিদ্রাঘিমাংশনক্ষত্রপদসম্পর্ক
লগ্নধনু18-06-54পূর্বাষাঢ়া2

সূর্য
মাধনু01-38-05মূলা1মিত্র

চন্দ্র
মামেষ16-45-46ভরনী2মিত্র

মঙ্গল
মাতুলা04-45-05চিত্রা4নিরপেক্ষ

বুধ
মাবৃশ্চিক16-05-35অনুরাধা4নিরপেক্ষ

বৃহস্পতি
বৃষ27-42-04মৃগশিরা2শত্রু

শুক্র
মাবৃশ্চিক21-07-39জ্যেষ্ঠা2নিরপেক্ষ

শনি
মাতুলা13-00-01স্বাতী2উচ্চ

রাহু
মকর02-19-17উত্তরাষাঢ়া2

কেতু
কর্কট02-19-17পূর্ণবসু4
ইউরেনিয়াসমিথুন28-52-26পূর্ণবসু3
নেপচুনমাতুলা02-23-05চিত্রা3
প্লুটোসিংহ01-40-24মঘা1
বিংশত্তরি দশা
দশা ভোগ্য
VENUS 14 Y 10 M 8 D
শু
25/10/1968
সূ
25/10/1974
25/10/1984
25/10/1991
রা
25/10/2009
বৃহ
25/10/2025
25/10/2044
বু
25/10/2061
কে
25/10/2068




দশা অন্তরদশা
रुशुक्रशुक्र26.08.2017
गुरुशुक्रसूर्य04.02.2018
गुरुशुक्रचंद्25.03.2018
गुरुशुक्रमंगल14.06.2018
गुरुशुक्रराहु10.08.2018
गुरुशुक्रगुरु03.01.2019
गुरुशुक्रशनि13.05.2019
गुरुशुक्रबुध14.10.2019
गुरुशुक्रकेतु29.02.2020
गुरुसूर्यसूर्य26.04.2020
गुरुसूर्यचंद्11.05.2020
गुरुसूर्यमंगल04.06.2020
गुरुसूर्यराहु21.06.2020
गुरुसूर्यगुरु04.08.2020
गुरुसूर्यशनि12.09.2020
गुरुसूर्यबुध28.10.2020
गुरुसूर्यकेतु08.12.2020
गुरुसूर्यशुक्र25.12.2020
गुरुचंद्चंद्12.02.2021
गुरुचंद्मंगल25.03.2021
गुरुचंद्राहु22.04.2021
गुरुचंद्गुरु04.07.2021
गुरुचंद्शनि07.09.2021
বর্তমান গোচর ২০১৭ 











जन्म कुंडली मे प्रथम भाव क्रियमाण पंचम भाव संचित व नवम भाव प्रारब्ध होता है।क्रियमाण व संचित पर मनुष्य का अधिकार होता है लेकिन प्रारब्ध पर नही।
क्रियमाण अच्छा या बुरा शुभ या अशुभ जो भी मनुष्य करता है उनपर पूर्ण अधिकार रहता है।अर्थात मनुष्य स्वतंत्र हैं वह शुभ या अशुभ कुछ भी कर सकता है मनुष्य चाहे तो शास्त्र विहित कर भी कर सकता हैऔर शास्त्र के प्रतिकूल कर्म भी।स्वतंत्र रूप से कुछ भी कर सकता है।
जिस प्रकार हमारा कर्म होगा ठीक उसी प्रकार संचित भी होगा।अर्थात कर्म पर जब हमारा अधिकार है तो संचित पर भी हमारा अधिकार होगा।
हम जैसा कर्म करते हैं उसी प्रकार संचित होता है ।इसी संचित के आधार पर प्रारब्ध का निर्माण होता है जो पूर्व जन्म कृत कर्म के भोग पर हमें भोगना पड़ता है।
प्रारब्ध को बदलना आसान नहीं है लेकिन सन्मार्ग पर चल कर अपने कर्म को बदलना कठिन भी नही।
गीता में भगवान इसलिये केवल कर्म के प्रति सजगता का पथ पढ़ाते हैं जिसका वर्तमान कर्म ठीक है उसका संचित अच्छा होगा ।जब संचित अच्छा है तो स्वतः प्रारब्ध भी अच्छा होगा ।
पूर्व जन्म के क्रम के आधार पर ही प्रारब्ध वस हमे भोगना पड़ता है।
सुख व दुख स्व कर्म के आधार पर ही हम भोगते है।शुभ कर्मों का सुख के रूप में अशुभ कर्मों का भोग दुख के रूप में ।वर्तमान में हम जो है तो हमारा पूर्व जन्मों का ही प्रतिफल है।
इसलिये श्रेष्ठ ज्ञानी जन सुख और दुख को समान मानकर जीवन व्यतीतकरते हैं।उनका मानना है जो है मेरा ही मुझे वापस मिल रहा है।तो इसमें दुःख किस बात की।।
सुख और दुःख तो मन की स्थिति है।मन जो मन लेता है हम वैसा हो जाते हैं।
Aries weekly horoscope this week, Sun is placed in a prominent position with it’s 7th aspect on your lagana along with Mercury and Jupiter. Due to this positioning you got to be careful of your approach but at the same time a lot of your unfinished work will now be completed and there will be financial gain, prosperity and new opportunities for you. New doors will be opening for you and your financial progress will be on the rise. कार्यक्षेत्र के लिए समय अनुकूल हो सकता है। नौकरीपेशा लोग स्विच करना चाह रहे हैं तो समय अच्छा है। फायदा और सफलता दोनों मिलेगी। बिजनेस में भी फायदे वाला समय है। नए लोगों से मुलाकात हो सकती है। बड़े सौदे और लेन-देन में किस्मत का साथ मिलेगा। प्रॉपर्टी संबंधी कामों में भी फायदा होने के योग बन रहे हैं। रुका हुआ पैसा मिल सकता है। आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर रहेगी। लोन लेना पड़ सकता है, लेकिन समय से चुका भी देंगे। सरकारी कामकाज में सावधान रहें। पैनल्टी या किसी प्रकार का चालान भुगतान करने के योग बन रहे हैं। कुछ यात्राओं में नुकसान होने की संभावना है। सोचे हुए कुछ काम पूरे नहीं होने से दुखी भी हो सकते हैं। साथ काम करने वाले कुछ लोगों से सावधान रहें। कोई धोखा देने की कोशिश भी कर सकता है। विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिल सकती है । सेहत संबंधी सावधानी रखें। लापरवाही न करे। जोड़ो में दर्द हो सकता है। लिवर में किसी तरह की तकलीफ भी होने की संभावना बन रही है। किसी तरह का इन्फेक्शन या दवाईयों का साइड इफेक्ट भी हो सकता है।





গ্রহরাশিদ্রাঘিমাংশনক্ষত্রপদসম্পর্ক
লগ্নমীন22-22-12রেবতী2

সূর্য
মাতুলা24-05-14বিশাখা2নীচ

চন্দ্র
মাকর্কট18-15-28অশ্লেষা1স্ব

মঙ্গল
মাকন্যা17-40-27হস্তা3শত্রু

বুধ
মাবৃশ্চিক12-29-40অনুরাধা3নিরপেক্ষ

বৃহস্পতি
মাতুলা12-37-40স্বাতী2শত্রু

শুক্র
মাতুলা09-33-48স্বাতী1স্ব

শনি
মাধনু01-25-13মূলা1নিরপেক্ষ

রাহু
কর্কট25-31-15অশ্লেষা3

কেতু
মকর25-31-15ধনিষ্ঠা1
ইউরেনিয়াসমেষ01-39-40অশ্বিনী1
নেপচুনকুম্ভ17-21-25শতভিষা4
প্লুটোমাধনু23-03-36পূর্বাষাঢ়া3









এই সময়কালে আপনি সব বিষয়ে সাফল্য পাবেন। আপনার পেশাদারী জীবনের চরম আনন্দদায়ক মুহূর্ত আপনার জন্য পুরষ্কার ও স্বীকৃতি বয়ে আনবে। বিনোদন ও প্রণয়ের জন্য খুব খুশির সময়। আপনার ভাই ও বোনদের এই বছর উন্নতি হবে। আপনার নিজস্ব প্রচেষ্টায় আপনার আয় বৃদ্ধি পাবে। পারিবারিক জীবনে বেশ খুশি থাকবেন। একটি আকর্ষনীয় কাজের প্রস্তাব, পুরস্কার, স্বীকৃতি, বা পদোন্নতি পাবার সম্ভাবনা আছে। আপনি সোনার জিনিস এবং মূল্যবান পাথর কিনবেন। সাধারণত, আপনি আপনার বন্ধু/সহযোগীদের সঙ্গে এবং বিভিন্ন পেশার সঙ্গে যুক্ত মানুষদের সঙ্গে ভালোভাবে থাকবেন ..
যে কোন ভাবে সময় এবং ভাগ্য আপনার ক্রিয়াকলাপকে এবং আপনাকে মধ্যমণি করে তুলবে। এটা আপনার জন্য সবচেয়ে সেরা সময় যখন আপনি আপনার প্রচেষ্টার জন্য প্রশংসা পাবেন এবং অন্যান্যরাও আপনাকে চিনতে পারবে ও আপনাকে লক্ষ্য করবে। বলা বাহুল্য, আপনার ব্যক্তিগত সম্পর্কেও শক্তি বৃদ্ধি পাবে। সন্তানেরা আপনার জন্য সুখ বয়ে আনবে। ভ্রমণ অপরিহার্য হতে পারে এবং মানুষ আপনাকে একবার দেখতে আগ্রহী হবে। এই সময়ে আপনি ধ্যান এবং জিজ্ঞাসার মাধ্যমে মানব অস্তিত্বের বাস্তবতার সত্য উদ্ঘাটনের চেষ্টা করবেন। এই সময়ে আপনি কিছু ব্যয়বহুল এবং বিরল বস্তু অর্জন করবেন। সামগ্রিকভাবে, এই সময়ে অত্যন্ত পুরষ্কারস্বরূপ হবে।

এই সময়কালকে শুভ সময়ের সূচনা বলা যেতে পারে। এই সময়কালে, আপনি অত্যন্ত খুশি থাকবেন। আপনি সমস্ত রকম প্রতিকূল পরিস্থিতি সামলাতে সক্ষম হবেন। আপনি পারিবারিক সুখ ভোগ করবেন। যদিও আপনার ভাইবোনরা কিছু ঝামেলা এবং সমস্যায় জড়িয়ে পরতে পারে। আপনার নিজস্ব প্রচেষ্টায় আপনার আয় বৃদ্ধি পাবে। আপনার শত্রুরা আপনার ক্ষতি করতে পারবে না। সামান্য শারীরিক সমস্যার সম্ভাবনা আছে। আপনার বন্ধু এবং সহযোগীরা আপনাকে অনুসরণ করার চেষ্টা করবে।



শাপিত যোগ 

श्रापित योग - Shrapit Yoga / Shrapit Dosha


ज्योतिष शास्त्र में शुभ और अशुभ योगों का वर्णन मिलता है (Jyotisha has both positive and inauspicious yogas). इन योगों में एक योग है श्रापित योग इसे शापित दोष भी कहा जाता है. इस योग के विषय में मान्यता है कि यह जिस व्यक्ति की कुण्डली में होता है उनकी कुण्डली में मौजूद शुभ योगों का प्रभाव कम हो जाता है जिससे व्यक्ति को जीवन में कठिनाईयों एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

श्रापित योग सम्बन्धी मान्यताएं (Beliefs about Inauspicious Yogas)


भारतीय दर्शन इस बात को मानता है कि आत्मा अमर है और कर्म के अनुसार जीव को अलग-अलग योनि में जन्म लेना पड़ता है. कर्म के अनुसार ही व्यक्ति को वर्तमान जीवन में सुख-दुख, आनन्द व कष्ट प्राप्त होता है (The person gets results according to Karma). कुण्डली में ग्रहों की मौजूदगी भी इसी अनुसार होती है. कुण्डली में श्रापित योग के होने का कारण भी पूर्व जन्म के कर्मों का फल माना जाता है. कुछ ज्योतिषी बताते हैं कि यह योग अत्यंत अशुभ फलदायी होता है. इस योग का फल व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार भोगना पड़ता है.

कुण्डली में श्रापित योग (Shrapit Yogas in the Kundali)


ज्योतिषशास्त्र में शनि, राहु, केतु, मंगल एवं सूर्य को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. इन अशुभ ग्रहों में शानि एवं राहु की मौजूदगी एक राशि में होने पर श्रापित योग का निर्माण होता है (Saturn and Rahu create an inuauspicious yoga). चुंकि ये दोनों ही ग्रह अशुभ फल देने वाले होते हैं इसलिए इन दोनों ग्रहों के योग से बनने वाले योग को शापित या श्रापित कहा जाता है. कुछ ज्योतिषशास्त्री यह भी मानते हैं कि शनि की दृष्टि राहु पर होने से भी इस योग का जन्म होता है.

शापित योग का परिणाम (The results of an inauspicious Yoga)


शाप का सामान्य अर्थ शुभ फलों का नष्ट होना माना जाता है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग बनता है उसे इसी प्रकार का फल मिलता है यानी उनकी कुण्डली में जितने भी शुभ योग होते हैं वे प्रभावहीन हो जाते हैं. इस स्थिति में व्यक्ति को कठिन चुनौतियों एवं मुश्किल हालातों का सामना करना होता है. यह परिणाम आम धारणा पर आधारित है. जबकि ज्योतिषशास्त्र का गहराई से अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि यह धारण पूरी तरह सत्य नहीं है. वास्तव में शापित योग जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है. उनकी कुण्डली में अन्य योगों की अपेक्षा यह अधिक प्रभावशाली होकर व्यक्ति को शुभ फल देता है.

ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार जब दो मित्र ग्रहों की युति बनती है तो उनका अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है (When two friendly planets are in conjunction their inauspicious results are finished) तथा दोनों मिलकर व्यक्ति को शुभ फल देते हैं. इस सिद्धांत के आधार पर भी शनि एवं राहु के योग को अशुभ करार नहीं दिया जा सकता है. लाल किताब तो इन दोनों ग्रहों के योग को नागमणि के नाम से सम्बोधित करता है. ज्योतिषशास्त्र की इस पुस्तक में कहा गया है कि राहु एवं शनि का योग इतना शुभ है जो कुण्डली में मौजूद अशुभ फलों को भी नष्ट कर देता है.

नंदी ज्योतिष से भी इस बात का समर्थन प्राप्त होता है कि राहु और शनि का योग अशुभ फल नहीं देता है (Nandi jyotish also supports that Rahu and Saturn do not give negative results in conjunction). इन दोनों का योग होने पर व्यक्ति काफी मात्रा में गुप्त धन बनाने में कामयाब होता है.

अब अगर आपकी कुण्डली में शापित योग है तो इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. इसे भी अपने लिए शुभ योग मानकर जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश कीजिए यह योग आपको अपनी मंजिल तक ले जाने में सहायक होगा.
পিতৃ দোষ ঃ We often find that in spite of our best efforts, we do not succeed in our efforts. We do our best and still are perplexed to find that there are unavoidable obstacles at the time of accomplishment of our work and as a result we are unable to reach our goal, in the last moment.
Though our deeds are good and we may have not committed any crime, our family members face one trouble or other and do not get rid of the problems. The belief makes us analyze what wrong we would have done in the past or present life and it is because of our Karmic debt or Pitra Dosha, the family members face unexpected hardships and difficulties which are inevitable, they are repeatedly affected by some of the inherited diseases, transferred from one generation to the other, like cystic fibrosis, Down Syndrome, mental Sub-normality, diabetes, asthma, most cancers, heart attack as a result of cardiovascular disease are the best examples of hereditary diseases.
Those who believe in rebirth can easily understand that this is because of the strong belief that the souls of our forefathers are not resting in peace and the evil deeds or sins, which they or we would have committed in previous birth or past, knowingly or by mistake, is a debt on us and needs to be cleared.











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